ईएमआई न चुकाने पर फोन-टीवी हो जाएंगे बंद: आरबीआई ला रहा है नया नियम, उपभोक्ताओं के लिए फायदे-नुकसान दोनों

 नई दिल्ली, 3 अक्टूबर 2025: अगर आप मोबाइल फोन, स्मार्ट टीवी या वॉशिंग मशीन जैसी चीजें ईएमआई पर खरीदते हैं और किस्तें समय पर न चुका पाएं, तो अब आपका गैजेट खुद-ब-खुद लॉक हो सकता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) उपभोक्ता ऋणों की वसूली को आसान बनाने के लिए एक नया सिस्टम लाने की तैयारी में है। इस व्यवस्था के तहत डिजिटल डिवाइसों में पहले से इंस्टॉल सॉफ्टवेयर या ऐप के जरिए रिमोटली डिवाइस को बंद किया जा सकेगा। यह नियम छोटे-मोटे लोन पर खरीदे गए इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स पर लागू होगा, जो डिफॉल्ट मामलों को कम करने का वादा करता है, लेकिन उपभोक्ता अधिकारों पर सवाल भी खड़े कर रहा है।



आरबीआई की इस प्रस्तावित गाइडलाइंस से ईएमआई पर खरीदारी करने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है, लेकिन साथ ही डेटा प्राइवेसी और जरूरी सेवाओं पर असर का डर भी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह सिस्टम अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में पहले से चल रहा है, जहां कारों को नॉन-पेमेंट पर रिमोटली डिसेबल किया जाता है। भारत में भी अब यह तकनीक मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप और स्मार्ट टीवी जैसे स्मार्ट डिवाइसों पर लागू हो सकती है।

नया सिस्टम कैसे काम करेगा?

आरबीआई के इस नए नियम के तहत, ईएमआई पर बिकने वाले प्रोडक्ट्स में खरीदते समय ही एक स्पेशल ऐप या सॉफ्टवेयर इंस्टॉल हो जाएगा। अगर कोई ग्राहक ईएमआई की किस्त समय पर न चुका पाए, तो बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन रिमोटली उस डिवाइस को लॉक कर सकता है। मतलब, फोन चलेगा नहीं, टीवी ऑन नहीं होगा, या लैपटॉप इस्तेमाल के लायक नहीं बचेगा। लेकिन अच्छी बात यह है कि ग्राहक की पर्सनल डेटा सुरक्षित रहेगी—डिवाइस लॉक होने पर भी फोटो, कॉन्टैक्ट्स या फाइल्स डिलीट नहीं होंगी।

हालांकि, यह व्यवस्था सिर्फ डिजिटल और स्मार्ट डिवाइसों पर ही संभव है। फर्नीचर, बेसिक बाइक या नॉन-स्मार्ट अप्लायंसेज जैसे आइटम्स के लिए पुरानी तरीके से रिकवरी एजेंट्स या लीगल एक्शन ही काम आएंगे। आरबीआई ने साफ कहा है कि ग्राहक की सहमति के बिना ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा, और डेटा सिक्योरिटी को प्राथमिकता दी जाएगी। फिर भी, एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि लाखों यूजर्स के डेटा तक बैंक का एक्सेस पहुंचने से ब्लैकमेलिंग या लीक का खतरा बढ़ सकता है।

अंतरराष्ट्रीय उदाहरण: पहले से चल रही यह तकनीक

यह कोई नई सोच नहीं है। अमेरिका में 'किल स्विच' टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कार लोन पर होता है—ईएमआई न भरने पर गाड़ी रिमोटली बंद हो जाती है। कनाडा में 'स्टार्टर इंटरप्ट डिवाइस' लगे होते हैं, जो कार को स्टार्ट होने से रोक देते हैं। अफ्रीका के केन्या और नाइजीरिया में सोलर पैनल सिस्टम 'पे-एज-यू-गो' मॉडल पर चलते हैं, जहां पेमेंट न होने पर सोलर बैटरी या पैनल रिमोटली शटडाउन हो जाते हैं। पेमेंट होते ही सब नॉर्मल हो जाता है। भारत में भी इसी तरह का सिस्टम ईएमआई डिफॉल्ट को रोकने में मददगार साबित हो सकता है।

फायदे और चुनौतियां: क्या होगा असर?

फाइनेंस एक्सपर्ट आदिल शेट्टी के अनुसार, वर्तमान में ये छोटे लोन अनसिक्योर्ड होते हैं, जिन पर 14-16 फीसदी ब्याज लगता है। अगर यह सिस्टम आया, तो इन्हें सिक्योर्ड लोन (जैसे होम या कार लोन) की कैटेगरी में डालना पड़ सकता है, जिससे ब्याज दरें कम हो सकती हैं। इससे डिफॉल्ट रेट घटेगा, फ्रॉड कम होगा और कम क्रेडिट स्कोर वाले लोग भी आसानी से प्रोडक्ट्स खरीद सकेंगे। होम क्रेडिट फाइनेंस की 2024 स्टडी बताती है कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स का एक तिहाई हिस्सा ईएमआई पर बिकता है, खासकर मोबाइल फोन—जिनकी संख्या 1.16 अरब से ज्यादा है। सीआरआईएफ हाई मार्क की रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 लाख रुपये से कम के लोन पर डिफॉल्ट सबसे ज्यादा है, जो इस नए नियम से सुधर सकता है।

लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं। अगर फोन या कार बंद हो गई, तो नौकरी, पढ़ाई या हेल्थ सर्विसेज प्रभावित हो सकती हैं। उपभोक्ता संगठन इसे अधिकारों पर हमला बता रहे हैं। आरबीआई को इन रिस्क्स को संभालने के लिए सख्त गाइडलाइंस बनाने होंगे। फिलहाल, यह प्रस्ताव बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के साथ चर्चा में है, और जल्द ही लागू होने की उम्मीद है।

उपभोक्ताओं के लिए सलाह

ईएमआई लेने से पहले शर्तें अच्छे से पढ़ें, सहमति दें और पेमेंट प्लान सख्ती से फॉलो करें। अगर डिफॉल्ट हो गया, तो तुरंत बैंक से बात करें—रिमोट लॉकिंग से बचने का यही रास्ता है। आरबीआई का यह कदम वित्तीय अनुशासन को मजबूत कर सकता है, लेकिन उपभोक्ता जागरूकता जरूरी है। क्या आप तैयार हैं इस नए दौर के लिए?

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